क्या है प्लांट मीट? आखिर नॉन-वेज की जगह क्यों खा रहे हैं लोग इसे
वीगन का इन दिनों खूब प्रमोशन हो रहा है. हाल ही में, बॉलीवुड अदाकारा अनुष्का शर्मा और उनके पति क्रिकेटर विराट कोहली ने स्वदेशी प्लांट मीट ब्रांड ब्लू ट्राइब में निवेश किया है और अब उसका समर्थन करेंगे. यह ब्रांड दिल्ली और मुंबई सहित कई भारतीय शहरों में अपने प्रोडक्ट बेच रहा है. अनुष्का और विराट दोनों ने अपने-अपने सोशल मीडिया पेज पर अपडेट साझा किया है. इस कपल का कहना है कि हम मांस नहीं बल्कि प्लांट से तैयार होने वाली चीजों का सेवन करेंगे.
बताते चले कि ब्लू ट्राइब के फाउंडर संदीप सिंह और निक्की अरोड़ा सिंह हैं, जिन्होंने भारतीय बाजार में मांस आधारित प्रोडक्ट्स के विकल्प की पेशकश की थी. इसके प्रोडक्ट मटर, सोयाबीन, दाल, अनाज और अन्य प्रोटीन से भरपूर सामग्री से बनाए जाते हैं. विराट और अनुष्का का कहना है कि पशुओं के प्रति प्रेम के अलावा हमें प्रकृति की भी काफी चिंता है. हालांकि, क्या आपने कभी प्लांट मीट के बारे में सुना है? या फिर क्या इसका स्वाद वाकई में एनिमल मीट जैसा होता है?
क्या होता है प्लांट मीट?
प्लांट मीट का मतलब पौधों से तैयार मीट होता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्लांट मीट को तैयार करने के लिए प्रोटीन, ग्लूटेन, नारियल का तेल, मसाले, सोया, चुकंदर का जूस, चावल जैसे चीजों की जरूरत पड़ती है. दुनिया भर में अधिक से अधिक लोग प्रतिदिन पौधे आधारित आहार खाने के लिए इच्छुक होते जा रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि अधिक पौधे आधारित खाद्य पदार्थ खाने से स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बेहतर होता है. प्लांट बेस्ड मीट जिन्हें जानवरों के मांस के विकल्प के रूप में माना जाता है, वास्तव में संसाधित और औद्योगिक रूप से निर्मित उत्पाद हैं. इसका बाजार दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है.
2020 में प्लांट-आधारित मांस बाजार का वैश्विक अनुमानित मूल्य 4.3 बिलियन अमरीकी डालर था और 2025 तक 14% की वृद्धि के साथ 8.3 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंचने का अनुमान है.
भारत की आबादी को क्या है पसंद?
हाल की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत की लगभग 30% आबादी शाकाहारी है. शेष 70%, जिन्हें ‘फ्लेक्सिटेरियन’ के रूप में जाना जाता है, यानी मांसाहारी तो हैं लेकिन कम मात्रा में मांस का सेवन करते हैं. इसका मतलब है कि वे कभी-कभार अंडे, मांस या मछली का सेवन करते हैं और ज्यादातर शाकाहारी भोजन ही करते हैं. भले ही अधिकांश भारतीय पौधे आधारित आहार खाते हैं, लेकिन देश में नकली मांस की भी मांग है. यानी हम सभी तरह के सोया चाप खाना पसंद करते हैं जो मूल रूप से मांस उत्पादों का एक विकल्प है.
हर दूसरी चीज की तरह, प्लांट-बेस्ड मीट के अपने फायदे और नुकसान होते हैं. प्लांट मीट का उपयोग बर्गर, सॉसेज, हैम बर्गर और मीटबॉल जैसे खाद्य पदार्थ बनाने में किया जाता है. इसमें सोया, हरी मटर, कटहल, गेहूं का ग्लूटेन, फलियां, बीन्स, वनस्पति प्रोटीन, नट और बीज शामिल हैं. प्लांट-बेस्ड मीट पौधों से बने होते हैं और असली मांस की तरह लगते हैं. इसका स्वाद बिल्कुल वैसा ही होता है, जैसा कि असली मांस.
प्लांट मीट से फायदे और नुकसान
प्लांट मीट नियमित मांस की तुलना में स्वस्थ होते हैं क्योंकि वे सैचुरेटेड फैट और कैलोरी में कम होते हैं. प्लांट-आधारित मीट की सामग्री में नारियल का तेल, वनस्पति प्रोटीन का अर्क और चुकंदर का रस शामिल होता है. ऐसे फूड एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन, खनिज, फाइबर से भरपूर होता है. कहा जाता है कि यह वेट मैनेजमेंट, हृदय रोगों को रोकने, कैंसर के खतरे को कम करने में फायदेमंद साबित होता है. रेड मीट, विशेष रूप से, टाइप 2 डाइबिटीज और हृदय रोग जैसी पुरानी बीमारियों के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है. सॉसेज, बेकन और हॉट डॉग जैसे प्रोसेस्ड मीट से भी पेट और आंतों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.