क्या आप जानते हैं बॉलीवुड की उस फिल्म के बारे में जिसे बनने में लगे 23 साल? गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में है नाम दर्ज

भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का इतिहास काफी पुराना है. सौ साल से भी ज्यादा समय से फिल्में लोगों का मनोरंजन कर रही हैं. कइयों ने तो विदेश तक हमारे देश का नाम रोशन किया तो कई अपने देश में भी कुछ खास कमाल नहीं कर पाईं. कई फिल्मों ने तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड  में भी अपना नाम दर्ज करवाया है और इसी लिस्ट में एक ऐसी फिल्म का भी नाम शामिल है जिसको बनाने में 23 साल का समय लगा था.

23 साल में बनी थी फिल्म
हमारे देश में कई भाषा में फिल्में बनाई जाती है. कई फिल्में ऐसी भी हैं जिसे बनाने में केवल 3 से 4 महीने का ही समय लगता है. लेकिन कुछ ऐसी भी हैं जिन्हें बनाने में वर्षों का समय लग जाता है. लेकिन यह जो फिल्म है इसे बनाने में 4 या 5 नहीं बल्कि 23 वर्षों का समय लगा था और इस अनोखी फिल्म का नाम ‘लव एंड गॉड’  था.

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में हुआ नाम दर्ज
यही फिल्म हर जगह चर्चाओं में थी. सबकी जुबान पर इसी का नाम था. इस फिल्म को बनाने में 23 साल लग गए तो लोग यह देखना चाहते थे कि आखिर इस फिल्म में है क्या? फिल्म के आने के बाद ही इसे भरपूर दर्शक मिले थे. 23 वर्ष में इस फिल्म के बनने के कारण इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है. इस फिल्म में कई अभिनेता तथा अभिनेत्रियां ऐसी हैं जो आज हमारे बीच मौजूद नहीं है. आज भी कई लोग इस फिल्म को देखना पसंद करते हैं.

लैला-मजनू पर आधारित फिल्म
यह फिल्म 1986 में रिलीज हुई थी और इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक के. आसिफ थे (K. Asif). मशहूर डायरेक्टर के.आसिफ के द्वारा बनाई गई यह पहली कलर फिल्म थी जो उनके फिल्मी करियर की आखिरी फिल्म भी साबित हुई. ये फिल्म लैला-मजनू की पौराणिक प्रेम कहानी पर आधारित थी. इस फिल्म में संजीव कुमार और निम्मी अहम भूमिका में थे. इस फिल्म में एक्ट्रेस निम्मी ने ‘लैला’ और संजीव कुमार ने ‘मजनू का किरदार निभाया था.

एक्टर और डायरेक्टर की मौत
1963 में इस फिल्म को बनाना शुरू कर दिया था. सबसे पहले इस फिल्म के लीड हीरो के लिए एक्टर गुरु दत्त (Guru Dutt) को चुना गया था. लेकिन अगले साल ही 1964 में गुरु दत्त की मौत हो गई थी. इसी की वजह से यह फिल्म रोक दी गई थी. इसके बाद करीब 4 साल बाद 1970 में इस फिल्म के लीड रोल के लिए संजीव कुमार को चुना गया और फिल्म की शूंटिग शुरू कर दी गई. लेकिन फिल्म की शूटिंग शुरू होने के कुछ समय बाद ही निर्देशक के. आसिफ की तबियत खराब होने लगी और वे काफी समय तक बीमार भी रहें और फिर साल 1971 में उनका निधन हो गया.

पत्नी ने पूरी की फिल्म
के. आसिफ  के निधन के बाद ऐसा लगा मानों जैसे अब यह फिल्म अधूरी ही रह जाएगी. क्योंकि जिस फिल्म की केवल 10 प्रतिशत शूटिंग में ही 8 साल लग गए सोचिए क्या वह बन भी पाएगी. लेकिन हुआ कुछ इसके विपरित निर्देशक के. आसिफ की पत्नी अख्तर आसिफ़ ने इस फिल्म को पूरा करने की सोची और उन्होनें निर्माता-निर्देशक के. सी. बोकाडिया की मदद से इस अधूरी पड़ी फिल्म को पूरा करने की शुरुआत की. निर्माता-निर्देशक के. सी. बोकाडिया की मदद से आखिरकार यह फिल्म 27 मई 1986 में रिलीज हुई.

कई एक्टर्स की हो गई थी मौत
फिल्म रिलीज होने से पहले ही इस फिल्म के कुछ कलाकारों का निधन हो चुका था. सबसे ज्यादा खुद की बात यह थी कि इस फिल्म के लीड एक्टर संजीव कुमार की इस फिल्म के रिलीज होने के साल पहले ही निधन हो गया था. इस फिल्म में संजीव कुमार और निम्मी के अलावा सिम्मी ग्रेवाल, प्राण, अमजद ख़ान, अचला सचदेव और ललिता पवार जैसे बेहतरीन कलाकारों ने अहम भूमिका निभाई है.

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