गाँव की गरीब बेटी ने किया कमाल पुलिस अफसर बनने पर गाँव ने कुछ यूँ मनाई खुशियाँ
बेटी बाप पर बोझ नहीं, बाप का बल होती है. बेटी अनचाही औलाद नहीं, मनचाही मुराद होती है. ये महाराष्ट्र की एक ऐसी बेटी की कहानी है जिसने अपने हौसले और हिम्मत से हर मुश्किल को पार किया है और अपने किसान मां-बाप के सपनों को साकार किया है. नासिक में रहने वाली तेजल आहेर के माता-पिता उसकी कोचिंग का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे. उसने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी अपने दम पर की और महाराष्ट्र पुलिस उपपनिरीक्षक पद की परीक्षा में कामयाबी हासिल की. 15 महीने की ट्रेनिंग पूरी कर जब तेजल निफाड प्रखंड में स्थित अपने गांव लौटी तो गांव वालों ने मिलकर इस कामयाबी की खुशियां मनाईं. मां-बाप की आंखों में आंसू रोके नहीं रुक रहे थे.
जिस राज्य में किसान तंगहाली की वजह से आत्महत्या करने पर मजबूर हों. गांव का गांव कभी बेमौसम बरसात तो कभी सूखे की चपेट की मार झेल रहा हो ऐसे मुश्किल हालात में जी रहे किसान परिवार के लिए तेजल की उपलब्धि जीने की एक उम्मीद और आसरा है. ये दिलासा है कि तकलीफें और मुश्किलें आई हैं तो चली भी जाएंगी, तेजल आहेर कल (7 अप्रैल, बुधवार) महाराष्ट्र पुलिस बल की सेवा में बहाल हो रही हैं.
राहें कई रूठीं, उम्मीदें नहीं टूटीं
कई बार राहें रूठ जाती हैं तो मंजिल तक पहुंचने से पहले ही उम्मीदें टूट जाती हैं. लेकिन तेजल के साथ ऐसा नहीं हुआ. वह महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की ओर से 2017 में आयोजित की गई परीक्षा में पुलिस उपनिरीक्षक (पीएसआई) पद में नियुक्ति पाने में कामयाब हो गई. ये उस परिवार के लिए एवरेस्ट फतह कर लेने के समान कामयाबी है, जिस परिवार में सुबह का खाना नसीब हो जाए तो शाम का भरोसा नहीं होता. चिमणी (चिड़िया) ने पंख फड़फड़ाया है, उड़ान भी भरेगी. गर्व से सीना चौड़ा कर तेजल के पिता हौशीराम आहेर कहते हैं कि उसकी मां अक्सर कहा करती थी कि एक दिन अपनी तेजू कमाल करेगी.
वाहेगाव भरवस तेजल आहेर के गांव का नाम है. ज्यादातर लोगों का यहां खेती-किसानी ही एकमात्र काम है. आयोग द्वारा चुने जाने के बाद तेजल ने नासिक स्थित पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण हासिल किया. 15 महीनों की लंबी ट्रेनिंग के बाद कल वो देर रात अपने गांव पहुंची. सारा गांव था स्वागत में खड़ा, हर एक परिवार में एक सपना जगा कि इस रात की सुबह होगी, एक दिन उनकी बिटिया भी तेजू की तरह कुछ करेगी.
मेहनत खामोशी से की, कामयाबी ने शोर मचाया
प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के संबंध में तेजल कहती हैं कि वो गांव और जिले के स्कूल और कॉलेज में शिक्षा हासिल करने के बाद गांव के पास के सबसे करीबी शहर नासिक चली गई और कोचिंग का खर्च नहीं उठा पाने के कारण उसने अपने दम पर पढ़ाई जारी रखी. सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक वह नियमित पढ़ाई किया करती थी. इस बीच होली आई, दिवाली आई लेकिन तेजल अपने घर नहीं आई. तैयारी में लगी रही. उसकी इस साधना में माता-पिता, दोस्तों और गांववालों ने उसकी मदद की. इसलिए वो अपनी कामयाबी का श्रेय इन्हीं लोगों को देती है.
उठ कर बैठी हूं, उड़ान अभी बाकी है…
तेजल का प्रशिक्षण 7 जनवरी 2020 को नासिक में शुरू हुआ और 7 अप्रैल 2021 को मुंबई में उसकी बहाली हो रही है. कोरोना की वजह से प्रशिक्षण की अवधि थोड़ी लंबी हो गई. तेजल के पिता हौशीराम आहेर कहते हैं कि बेटी को वर्दी में देखने का सपना था, जो सच हो गया. उन्होंने कहा कि तेजल ने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया है. पूरे गांव का नाम रौशन किया है. लेकिन तेजल कहती है कि मैं उठ कर बस बैठी हूं, उड़ान अभी बाकी है, बादलों तक ही सफर नहीं आसमान अभी बाकी है…