सारा अली खान ने बता ही दी पिता सैफ से अलग रहने की वजह, कहा उस घर में कैसे रह सकती जहां
जैसा की हम सब जानते है की सारा अली खान बॉलीवुड स्टार सैफ अली खान और अमृता सिंह की लाडली बेटी है. जब से सारा अली खान ने बॉलीवुड में अपना कदम रखा है, तभी से हर किसी के दिल में उनसे जुड़ी हर छोटी से छोटी बातों को जानने के लिए बेताबी रहती है, चाहे वो उनकी सौतेली माँ करीना कपूर से जुड़े रिश्ते के लिए हो या फिर सैफ अली खान और अमृता सिंह के तलाक से जुड़ी बात हो.
हलाकि, ऐसा देखा गया है की सारा कभी भी इन सभी मुद्दों पर बात करने कतराती नहीं है, लेकिन फिर भी अधिक लोगों के मन में ये सवाल है की सारा अपने पिता सैफ अली खान के साथ क्यों नहीं रहती है बल्कि माँ अमृता सिंह के साथ क्यों रहती है.
इन सभी सवालो का जवाब देते हुए सारा अली खान ने बताया था की ” मैं बचपन से ही अपनी माँ के साथ रही हूँ, फिर सारा कहती है की उन्होंने मुझे बहुत प्यार से पाला है, जब इब्राहिम हुआ तो उसके बाद हमारी माँ ने अपना पूरा समय हमें दिया है, यहाँ तक की हमारी परवरीश के लिए उन्होंने अपना करियर तक पीछे छोड़ दिया था
फिर सारा ने कहा की आखिर मैं उस घर में कैसे रह सकती हु जहां मेरे माता- पिता एक साथ खुश नहीं हैं. उस घर में मैं नहीं रह सकती, हालांकि, इंडस्ट्री में सारा पहली स्टारकिड नहीं है जिन्हें अपने माता-पिता में से किसी एक को चुनना पड़ा हो. वही ये भी सत्ये हैं की आज के समय में हर तलाकशुदा दंपति की खींचतान का असर बच्चों को नकारात्मक बना रहा है.
हम ये भी नहीं कह सकते हैं की एक तलाकशुदा जोड़े का मतलब एक टूटे हुए परिवार से हैं, लेकिन ये एक साधारण सी बात हैं की जब कोई पति पत्नी एक दूसरे से अलग होने का फैसला करते हैं तो इसका सीधा असर उनकी बच्चो की जिंदगी पर परता हैं, हम ये भी मानते हैं की एक शादी का सही से चलना थोड़ा मुस्किल काम होता हैं, लेकिन एक दूसरे से अलग रह कर सही माँ-बाप बनना इससे भी ज़यादा मुस्किल काम होता हैं.
ये तो हम सब जानते हैं की, जिन बच्चो की परवरीश उनके माता-पिता करते हैं, उन्हें एकल माता- पिता ,कस्टोडियल माता-पिता या फिर तलाकशुदा माता-पिता के साथ समायोजित करना बहुत मुश्किल लगता है, लेकिन ये साड़ी बाते भी माता-पिता के ऊपर हैं अगर वो चाहें तो इस दौरान भी अपने बच्चो को एक बेहतर भविष्य दे सकते हैं. जो माता-पिता तलाक के दौर से गुजर रहे होते हैं.
वह प्रभावी ढंग से एक बेहतर अभिभावक बनने की मानसिक स्थिति में नहीं होते. ऐसे हालातों में अनुशास में कम और जीने का ढंग अधिक प्रभावी लगने लगता हैं, जिससे बच्चो के सेहत पर भी अधिक प्रभाव परता हैं, ऐसे में अगर माता पिता चाहें तो वो अपनी आपसी तकरारों को साइड करते हुए एक अच्छे मित्र के तरह अपने बच्चो का पालन पोषण कर सकते हैं.
एक तलाकशुदा माता पिता और उनके बच्चे दोनों के बिच तालमेल जल्दी नहीं बन पता हैं ये बहुत ही ज़यादा मुश्किल काम हैं, बच्चों के लिए भी यह एक असामान्य रूप से भ्रमित और निराशाजनक समय होता है, घर पर क्या हो रहा है? क्यों हो रहा है,इन सब चीजों से गुजरना आसान नहीं है, कभी कभी इन बातों का असर उनकी आगामी योजना पर पड़ने लगता है, जिसका खामियाजा उन्हें आने वाले समय में उठाना पड़ता है, लेकिन माता-पिता एक मिनट को अपने आपसी मतभेद को भूल बच्चों पर ध्यान दें, तो उनके लिए बच्चों की ख़ुशी का ख्याल रखना ज्यादा मुश्किल नहीं है.