भारत का एक अनोखा मंदिर, जहां देवी पूजा के बाद चूहों को लगाया जाता हसो भोग

भारत में कई अनेकों मंदिर है हमारा देश मंदिरों के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। हर जगह और हर गली में हमें मंदिर मिल ही जाते हैं। साथ ही कई मंदिर बहुत ही अजीबो-गरीब हैं। यहां पहुंचकर कई भक्तों की मुरादे पूरी होती हैं और कई मंदिरों पर अनोखे चमत्कार देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक मन्दिर है करणी माता का मन्दिर। इस मन्दिर एक खास मन्दिर है और इसके चमत्कार के वजह से यह बहुत ही लोकप्रिय मन्दिर है। दूर दूर से लोग यहां इसी वजह से दर्शन करने आते है। तो आज ऐसे ही एक अनोखे मंदिर के बारे में हम आपको बताएंगे।

कहां है माता का अनोखा मंदिर
माता करणी का यह एक चमत्कारी मंदिर जो राजस्थान के बीकानेर जिला मुख्यालय में 30 किलोमीटर दूर, देशनोक नामक कस्बे में स्थित है। यह करणी माता का मंदिर कहलाता है।

क्यों है यह मंदिर अनोखा
सभी मंदिर मे आपको अलग-अलग प्रकार के कई चमत्कार देखने मिलेंगे लेकिन इस मंदिर की अजीब बात यह है कि यहां माता को प्रसन्न करने के लिए चूहो को प्रसाद खिलानी पड़ती है। इन चूहों की संख्या 20-25 हज़ार से भी अधिक है। कहा जाता है कि चूहे करणी माता के परिवार के सदस्य हैं और इन चूहों को प्रसाद खिलाने से माता प्रसन्न होती है। ऐसा माना जाता है कि करणी माता बीकानेर राजघराने की कुलदेवी है और इन्हीं के आशीर्वाद से बीकानेर और जोधपुर का अस्तित्व में आए हैं।

क्या है करणी माता का इतिहास
करणी माता का मंदिर का इतिहास बहुत ही पुराना है। मंदिर को लेकर बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं। बताया जाता है कि करणी माता का जन्म एक चारण परिवार में हुआ था। शादी के कुछ ही समय बाद उन्होंने सांसारिक जीवन त्याग दिया और अपना संपूर्ण जीवन भक्ति और सेवा में लगा दिया। कहा जाता है कि करणी माता 151 वर्ष तक जीवित रही और उसके बाद ज्योतिर्लिंग में परिवर्तित हो गई। करणी माता बीकानेर राजघराने की कुलदेवी है और माता के मंदिर का निर्माण बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने बीसवीं शताब्दी में कराया था।

मंदिर में उपस्थित चूहे और विशेष सफेद चूहे की खास महत्व
माता करणी का मंदिर चूहो के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। चूहा वाला यह अद्भुत मंदिर सबके मन में शंका पैदा करता है कि क्यों वहां पर चूहे है और क्यू उन्हे भोग लगाया जाता है। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को पैर घसीटते हुए जाना होता है क्योंकि यहां चूहे की तादाद बडी संख्या में है अगर पैर उठाकर चले तो चूहे को हानि पहुंच सकती है। मंदिर परिसर में चूहों द्वारा धमाचौकड़ी मचाना आम बात है। मंदिर में अधिकांश काले चूहे नजर आते हैं लेकिन अगर सफेद चूहा नजर आए जिससे बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है। यहां आने वाले भक्तों को कहना है कि अगर सफेद चूहे को देख कर कोई मनोकामना करें तो वह अवश्य पूरी होती है।

क्यों लगाया जाता है चूहों को भोग
इस मंदिर में माता को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को यहां पर चूहे को पहले भोग लगाते हैं, और फिर लोग उसे प्रसाद मानकर ग्रहण करते हैं। चूहे के लिए भोग यहां पर एक बड़ी सी बरात में रखते हैं मूंगफली दूध आदि सब प्रसाद के रूप में चूहे ग्रहण करते हैं। माता को चढ़ने वाले प्रसाद का पहला अधिकार चूहों को ही प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि चूहे जो है माता करणी के परिवार के सदस्य है। इन्हें कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा सकता चूहों को अन्य जानवरों से खतरे से बचाने के लिए मंदिर परिसर में चूहों की सुरक्षा हेतु लोहे की जालियां लगाई गई हैं।

क्यों बुलाया जाता है चूहों को काबा
यह मंदिर चूहों की वजह से ही बहुत प्रसिद्ध है यहां हजारों की तादाद में चूहे रहते हैं और स्थानीय लोग वहां बरसों से उन्हें काबा कह कर बुलाते हैं। पूरे मंदिर प्रांगण में तकरीबन 20-25 हजार से ज्यादा चूहे रहते हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि श्रद्धालुओं को यह चूहे कभी भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाते।

देवी के सेवक होते हैं वे चूहे
इस प्राचीन मंदिर में चूहे का संबंध देवी से है। इन चूहे को करणी माता के सेवक के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह सारे चूहे माता के सेवक है और आदिकाल से माता की सेवा कर रहे हैं। कुछ लोग ऐसा भी मानते हैं कि यह माता के सैनिक थे जिन्हें माता ने चूहे का रूप दिया और अब यह आदि काल से चूहे के रूप में माता के आस-पास रहते हैं।

मंदिर का मनमोहक दृश्य सब को लुभाता है
करणी माता का मंदिर बहुत ही सुंदर है। इसका दृश्य श्रद्धालुओं को लुभाने वाला है। माता का मंदिर संगमरमर से बना हुआ है जो काफी सुंदर और भव्य है। ऐसा माना जाता है कि माता करणी वहां पर जगदंबा का अवतार है। ऐसा माना जाता है कि बीकानेर राज घराने के राजा को माता ने दर्शन दिए थे जिसके बाद से राजा ने मंदिर का भव्य रूप से निर्माण कराया था। मंदिर के मुख्य दरवाजे पर संगमरमर पर नक्काशी की गई है जिसे देखते ही लोग यहां आते हैं इसके द्वार चांदी के और छत का निर्माण सोने से किया गया है।

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