क्या आपको पता है मां दुर्गा का वाहन शेर ही क्यों है? नहीं जानते तो जाने इसके पीछे की पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में विभिन्न-विभिन्न प्रकार के देवी देवता होते हैं जिन की पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही आपने यह भी देखा होगा कि हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां या फिर पेंटिंग्स पर उनके साथ एक वाहन दर्शाया जाता है जो कि एक जानवर का ही रूप होता है। भगवान के हर स्वरूप और उनकी सवारी का अपना एक विशेष महत्व है हमारे शास्त्रों में इसका बहुत अच्छे से वर्णन किया गया है।

जल्द ही नवरात्रि आने वाली है और इसमें भक्त मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करेंगे मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी। मां दुर्गा तेज और शक्ति का प्रतीक है और उनकी सवारी शेर है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, कि मां दुर्गा का वाहन शेर ही क्यों होता है शेर आक्रामकता और शौर्य का प्रतीक होता है और यही मां दुर्गा की सवारी होता है, लेकिन इसके पीछे का कारण आप में से बहुत लोग नहीं जानते होगे, तो इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि मां दुर्गा की सवारी शेर से जुड़ी क्या कथा है-

पहली कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए मां पार्वती ने बहुत वर्षों तक कठोर तपस्या की थी, और इस कठोर तपस्या के बाद उन्हें शिवजी पति के रूप में प्राप्त हुए थे बहुत वर्षों की कठोर तपस्या के वजह से मां पार्वती का रंग थोड़ा सांवला हो गया था।

एक दिन मां पार्वती और भगवान शिव बैठकर कुछ बात कर रहे थे और भगवान शिव ने मजाक में मां पार्वती को काली बोल दिया था। यह सुनकर मां पार्वती नाराज हो गई और इस बात का मां पार्वती को बहुत बुरा लग गया था और वह गुस्से में कैलाश पर्वत छोड़कर वन में चली गई थी, और वहां एक गुफा में घोर तपस्या में लीन हो गई। इस बीच उस गुफा में एक शेर चल कर आया शेर बहुत ही भूखा था और वह खाना की तलाश में उस गुफा में आया था। वह मां पार्वती को देखकर उन्हें खाने पहुंचा था शेर मां पार्वती को खाना चाहता था, लेकिन शेर ने जब मां पार्वती को ध्यान में लीन देखा तो वह चुपचाप बैठ गया, माता के प्रभाव के चलते वह शेर भी तपस्या कर रही मां के साथ वही चुपचाप बैठ कर भूखे प्यासे ही उन्हें देखता रहा और सालों तक बिना कुछ खाए पिए वह चुपचाप मां के पास ही बैठा रह गया।

जब बहुत वर्षों बाद मां की तपस्या पूर्ण हुई तब शिवजी वहां पर प्रकट हुए और मां पार्वती को अपना इच्छा अनुसार वरदान मांगने को कहा तब मां पार्वती ने भगवान शिव से गोरी होने का वरदान मांगा और भगवान शिव उन्हें गोरा होने का वरदान देकर चले गए। फिर माता ने गंगा नदी में स्नान किया और स्नान करने के बाद देखा कि एक शेर वहां चुपचाप माता को ध्यान से देख रहा था। मां पार्वती को जब यह पता चला कि वर्षो से वह शेर भूखा प्यासा मां को तपस्या करते हुए देख रहा है तो माता ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया और अपने वाहन बना दिया तब से ही मां पार्वती का वाहन शेर है।

दूसरी कथा
मां दुर्गा का वाहन शेर ही होता है इस संबंध में दूसरी कथा यह है जो स्कंद पुराण में उल्लेखित है- उसके अनुसार शिव जी के पुत्र कार्तिकेय ने देवासुर संग्राम में दानव तारक और उसके दो भाई सुरापदमन और सिंहमुखम को पराजित किया था सिंहमुखम अपनी पराजय पर कार्तिकेय से माफी मांगी जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने उसे शेर बना दिया और मां दुर्गा का वाहन बनने का आशीर्वाद दे दिया तब से ही शेर मा दुर्गा का वाहन है।

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