क्या नीम की पत्तियों से सच में ठीक हो जाता है डेंगू का बुखार?
नीम एक ऐसी बेहतरीन जड़ी- बूटी वाला पौधा है, जो अपने देश भारत के हर हिस्से में पाया जाता है। साथ ही यह मलेशिया, अफ्रीका और साउथ अमेरिका जैसे देशों में भी खूब होता है। आयुर्वेदिक उपचार विधियों में इसका बखूबी इस्तेमाल किया जाता है और इसके कई गुण हैं। नीम के पौधे के करीब- करीब हर हिस्से का इस्तेमाल दवाइयों के तौर पर किया जाता है।
डेंगू के लिए नीम की पत्तियां: कितनी प्रभावी?
नीम की पत्तियां बेहतरीन इम्युनिटी बूस्टर हैं। इनका इस्तेमाल डेंगू ठीक करने के लिए किया जाता है, जो मानसून की बीमारियों में सबसे ज्यादा भयानक है। यह एक वेक्टर जनित बीमारी है, जो वेक्टर (ट्रांसमीटर) एडीस एजिप्टी से फैलती है। यह एक फीमेल मच्छर है, जो डेंगू वायरस का वेक्टर है। बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, रैश, नॉजिया, उलटी और कमजोरी डेंगू के ऐसे कई लक्षण हैं। वायरस संक्रमण के 3-14 दिनों के बाद लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। कुछ मामलों में, लंबे समय तक चलने वाली थकान भी होती है। इलाज में देरी हो जाने पर डेंगू ब्लड प्लेटलेट काउंट में कमी, सांस लेने में तकलीफ और नाक या स्किन से खून निकलने जैसे कॉम्प्लीकेशन के कारण यह बहुत डरावना भी हो जाता है।
नीम में सबसे अधिक सक्रिय कम्पाउंड एजेडिरकटिन है, जो डेंगू वायरस को बढ़ने से रोकता है। इसके साथ ही निम्बीडीन, निम्बिन, निम्बोलाइड, लिमोनॉयड्स निम्बोलिनिन, निम्बिडोल, सोडियम निम्बिनेट, जेडूनिन और सलान्निन जैसे विभिन्न घटक हैं। ये डिजीज मैनेजमेंट में मुख्य भूमिका निभाते हैं। ताजी नीम की पत्तियों में क्वेरसेटिन और बीटा-सिटोस्टेरोल पॉलीफेनोलिक फ्लेवोनोइड पाए जाते हैं। इनमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटीपीयरेटिक और एंटीइन्फ्लेमेट्री गतिविधियां पाई जाती हैं। वहीं दूसरी ओर, नीम के बीज में दो महत्वपूर्ण घटक जैसे कि जेडूनिन और एजेडिरकटिन होते हैं।
डेंगू के लिए नीम की पत्तियां
अब तक डेंगू के इलाज के लिए कोई भी सटीक ट्रीटमेंट विधि नहीं मिली है, जिसे वैश्विक तौर पर स्वीकार किया गया है। डेंगू के लक्षणों को खास दवाइयां न होने की वजह कई सहायक और वैकल्पिक थेरेपी द्वारा ठीक किया जाता है। डेंगू के लक्षणों को ठीक करने के लिए नीम की पत्तियों सहित विभिन्न हर्बल रेमेडी का उपयोग किया जाता है। नीम पत्तियों के अर्क (एक्सट्रेक्ट) पर किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि नीम की पत्तियां एक व्यक्ति में वायरल लोड कम करके डेंगू वायरस टाइप -2 के खिलाफ प्रभावी हो सकती हैं।
नीम वाला पानी
पानी में नीम की पत्तियों को उबालें और नियमित अंतराल पर दिन में 2-3 बार इस लिक्विड को पीते रहें। अध्ययन सलाह देते हैं कि यह नीम अर्क गंभीर डेंगू वाले रोगियों में ब्लड प्लेटलेट और डब्ल्यूबीसी काउंट को बढ़ाता है।
नीम अर्क और पपीता की पत्तियों का अर्क
पपीता की पत्तियों के साथ नीम की पत्तियों का अर्क डेंगू को ठीक करने के लिए एक बेहतरीन रेमेडी है। साथ में कम करते हुए, वे तेजी से डेंगू रोगियों में प्लेटलेट काउंट को बढ़ाते हैं और इसके वायरल गुणों को बढ़ने से रोकते भी हैं।
नीम तेल
इसके फल और फूलों से निकला गया नीम तेल एक बेहतरीन मॉस्किटो रेपेलेंट (मच्छर भगाने का काम) है। इस नीम तेल को लगाने से काफी हद तक डेंगू का मच्छर काटेगा ही नहीं।
नीम की पत्तियों का धुआं
डेंगू से बचने का सबसे बढ़िया तरीका मच्छरों से बचना है। सूखी नीम की पत्तियों का इस्तेमाल धुआं करने के लिए किया जा सकता है। इससे मच्छर दूर रहेंगे। अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या नीम बुखार को दूर कर सकता है?
नीम की पत्तियों का इस्तेमाल डेंगू बुखार को दूर करने के लिए किया जाता है। हालांकि, फ्लू वायरस से होने वाले सामान्य बुखार को ठीक करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही यह इम्यून सिस्टम को बूस्ट भी करता है।
नीम की पत्तियां किन रोगों को ठीक कर सकती हैं?
खराब पेट, पेट फूलने, स्किन अल्सर, नाक से निकलने वाले खून, आंत के कीड़े, डायबिटीज, लीवर डिसऑर्डर, दांत की समस्याएं और लेप्रोसी को ठीक करने में नीम की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि प्रेगनेंट महिलायें इसके इस्तेमाल से बचें क्योंकि इससे अबॉर्शन होने का खतरा रहता है।
क्या रोजाना नीम की पत्तियों को खाना सुरक्षित है?
चूंकि नीम की पत्तियों और इसके पौधे के अन्य हिस्से को जड़ी- बूटी माना गया है तो ये खुराक पर निर्भर करते हैं। इसका मतलब है कि जब सही मात्रा में इनका इस्तेमाल किया जाए तो ये किसी विशेष स्थिति के लिए सही रहते हैं। नीम को 10 हफ्तों के लिए रोजाना 60 मिलीग्राम की खुराक तक सुरक्षित माना जाता है।
Source : नवभारत टाइम्स