जर्मन की लड़की बिहार के लड़के को दे बैठी दिल! हिंदू रीति-रिवाज से करी शादी

कहावत है कि प्रेम ना जाने मजहब-सरहद, यानि प्रेम को किसी धर्म, भाषा या राति-रिवाज से कोई लेना देना नही होता है. प्यार के आगे एक बार फिर सरहद छोटी पड़ गई. कुछ ऐसा ही हुआ जब जर्मनी की शोध छात्रा लारिसा बेंज ने अपने बिहारी प्रेमी सत्येंद्र कुमार के साथ हिंदू विधि विधान के साथ शादी रचाई. जर्मन की दुल्हनिया और बिहार का दूल्हा, जब शादी के स्टेज पर चढ़े तो सब देखते रहे. इस अनूठी शादी का साक्षी नालंदा का जिला राजगीर बना है. दोनों की प्रेम कहानी तीन साल में परवान चढ़ी.

स्पेशल वीजा लेकर आई इंडिया
जर्मन की लारिसा अपनी शादी के लिए स्पेशल वीजा लेकर इंडिया आई है. उनके माता-पिता को बीजा नहीं मिल पाया. इसके चलते उनके माता-पिता शादी में शामिल नहीं हो पाए. हालांकि इस शादी के गवाह सत्येंद्र का परिवार और गांव वाले बने हैं. नालंदा जिले के राजगीर स्थित एक होटल में शादी की सारी रस्में की गई.

हिंदू धर्म की निभाई सभी रस्में
बता दें कि जर्मनी में पली बढ़ी लारिसा को न तो हिंदी आती है और न ही वह विधि-विधान जानती हैं. लेकिन जब विवाह समारोह शुरू हुआ तो उसने वह सभी रस्में निभाईं जो एक हिंदू कन्या करती हैं. हल्दी का उबटन लगाया, पानी ग्रहण से लेकर वर पूजन तक सब रस्में हुई. सिंदूरदान के बाद लारिसा बेंज सुहागन बन गई. लारिसा ने बताया कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति उन्हें इतनी ज्यादा पसंद थी कि उन्होंने भारत आकर अपने होने वाले पति के गांव में शादी करने का प्लान बनाया.

लारिसा ने बताया कि भारत के लोग बहुत अच्छे हैं. यहां के कल्चर और मेरे वहां के कल्चर में बहुत अंतर है. लेकिन प्यार बहुत बड़ी चीज है. मैं अच्छे से हिंदी भाषा नहीं समझ सकती. बस कुछ ही शब्द समझ पाती हूं लेकिन मेरे पति मुझे ट्रांसलेट करके समझाने की कोशिश करते हैं.

तीन साल के प्यार के बाद सात फेरे
नालंदा के सत्येंद्र ने बताया कि वे कैंसर पर शोध करने के लिए स्वीडन गए थे. हम वहां स्किन कैंसर पर शोध कर रहे थे. जबकि लारिसा बेंज प्रोस्टेट कैंसर पर रिसर्च कर रही थी. इसी दौरान 2019 में दोनों करीब आए. दोनों के बीच बाते शुरू हुई और फिर प्यार हो गया. प्यार परवान चढ़ा तो दोनों ने शादी करने का मन बना लिया था.

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