नर्मदा नदी में उपस्थित हर पत्थर को शिव जी का रूप क्यों माना जाता है, जानिए इसके पीछे की कथा!

नर्मदा नदी भारत की एक प्रमुख नदियों में से एक है। इस नदी से निकलने वाले शिवलिंग को नर्मदेश्वर कहा जाता है। यह घर में भी स्थापित किए जाने वाले शिवलिंग होते हैं। जिसकी पूजा करने से बहुत शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यह साक्षात शिव का रूप होते हैं। इसको वाणलिंग भी कहा जाता है शास्त्रों में कहा गया है कि मिट्टी या पाषाण से करोड़ों गुना अधिक फल स्वर्ण निर्मित शिवलिंग के पूजन से मिलता है, स्वर्ण से करोड़ों गुना अधिक मणि से, मणि से करोडो गुना अधिक वाणलिंग नर्मदेश्वर के पूजन से मिलता है।

ऐसे शिवलिंग को घर में स्थापित करने के समय प्राण प्रतिष्ठा की कोई जरूरत नहीं होती है। आमतौर पर घर पर शिवलिंग की पूजा प्रतिदिन करनी चाहिए क्योंकि आपके परिवार मे मंगल करने वाला होता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि नर्मदा नदी में निकलने वाले सारे पत्थर को शिवलिंग होने का वरदान क्यों प्राप्त है? इसके पीछे की क्या कहानी है?? और क्यों इन छोटे-छोटे कण को भी शिवलिंग का दर्जा प्राप्त है? तो आज इस आर्टिकल में हम आपको इसी से जुड़े कथा बताएंगे

भारतवर्ष में गंगा यमुना सरस्वती और नर्मदा यही चार नदियों को सर्वश्रेष्ठ होने का दर्जा प्राप्त है। प्राचीन काल में नर्मदा नदी ने बहुत वर्षों तक तपस्या करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया। प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने नर्मदा जी को वर मांगने को कहा नर्मदा जी ने ब्रह्मा जी से कहा कि यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं, तो मुझे गंगा के सामान का दर्जा दे दीजिए।

ब्रह्मा जी ने मुस्कुराते हुए नर्मदा जी से कहा यदि कोई दूसरा देवता भगवान शिव की बराबरी कर ले, कोई दूसरा पुरुष भगवान विष्णु के समान हो जाए, कोई दूसरी नारी पार्वती जी से समानता कर ले और कोई दूसरी नगरी काशीपुरी की बराबरी कर सके, तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान हो सकती है।

ब्रह्मा जी की बात सुनकर नर्मदा उनके वरदान को त्याग करके काशी चली गई और वहां पीलपिला तीर्थ में शिवलिंग की स्थापना की और उसी के समक्ष कठोर तप करने लगी।

भगवान शंकर उनकी यह तप को देखकर बहुत ही प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए और वर मांगने के लिए कहा। नर्मदा जी ने कहा भगवान तुच्छ वर मांगने से क्या लाभ? बस आपके चरण कमलों में मेरी भक्ति बनी रहे। नर्मदा जी की यह बात सुनकर भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हो गए और बोले नर्मदे तुम्हारे तट पर जितने भी प्रस्तर खंड मतलब कि पत्थर है वे सभी मेरे वर से शिवलिंग का रूप हो जाएंगे। मतलब की नर्मदा से निकले हर पत्थर को शिवलिंग के रूप में पूजा जा सकता है। गंगा नदी में स्नान करने से शीघ्र ही पापों का नाश हो जाता है, वही यमुना जी में स्नान 7 दिन में स्नान करने से और सरस्वती में 3 दिन के स्नान से सभी पापों का नाश हो जाता है, परंतु तुम दर्शन मात्र से संपूर्ण पापों का निवारण करने वाली होगी।

तुमने जो नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की है वह पुण्य और मोक्ष देने वाला होगा यह कहकर भगवान शंकर उसी शिवलिंग में लीन हो गए इतनी पवित्रता पारकर नर्मदा भी प्रसन्न हो गई इसलिए कहा जाता है कि “नर्मदा का हर कंकर शिव शंकर है”।

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