पितृ पक्ष में ये लोग ही कर सकते है अपने पितरों का श्रद्धा, ये है इसके नियम

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का एक विशेष महत्व है यह 15 दिनों का होता है और 15 दिनों तक पूर्वजों के नाम श्राद्ध किया जाता है। इन पूरे 15 दिनों में लोग अपने मृत परिजन पूर्वजों के लिए शांति की कामना करते हैं। शास्त्रों में भी श्राद्ध का उल्लेख बहुत जगह पर मिलता है।

हर वर्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से अश्विन मास की अमावस्या तक पितृपक्ष होता है इस वर्ष पितृपक्ष 20 सितंबर 2021 से 6 अक्टूबर 2021 तक मतलब 17 दिनों तक होगा। इसमें घर के बेटे श्राद्ध का कार्य पूरा करते हैं। श्राद्ध करने का अधिकार घर के सबसे बड़े और सबसे छोटे बेटे का होता है परंतु इसके अलावा घर के अन्य सदस्य भी इनकी अनुपस्थिति में पितरों का तर्पण कर सकते हैं।

हिंदू धर्म शास्त्र के नियमानुसार पितरों की श्राद्ध और कौन-कौन कर सकता है इसका भी उल्लेख है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्राद्ध करने का अधिकार और किसे है तो चलिए आज हम आपको बताते हैं इसके बारे में—

>>सर्वप्रथम हिन्दू धर्म में श्राद्ध करने का अधिकार सबसे बड़े बेटे का होता है।
>>शादी के बाद बेटा अपनी धर्म पत्नी के साथ तर्पण कार्य कर सकता है
>>यदि बड़े बेटे की मृत्यु हो गई है तब छोटा बेटा श्राध कार्य को पूरा कर सकता है
>>यदि बेटों की मृत्यु हो गई है तो पोता श्राद्ध कर सकता है।
>>यदि किसी के पुत्र नहीं है तब ऐसी स्थिति में पुत्री का बेटा श्राद्ध कर सकता है।
>>यदि किसी के एक भी संतान नहीं है तो ऐसी स्थिति में भाई भतीजे श्राध कर सकते हैं।

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